पासवान या पासी जिसका हिंदी में अर्थ: है “प्रशंसा के योग्य”, जो की भारत में हिंदुओं का एक समुदाय है। पासवान समाज का इतिहास बहुत ही रहस्यमय है जो की समय के साथ और भी गुमनाम होता गया। आज के समय में पासवान समुदाय के लोग मूलरूप से भारत के उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, झारखण्ड व उत्तर-पूर्व भारत के राज्यों में बसे हुए हैं। पिछले कुछ दशकों में इस समुदाय के कई सदस्य बेहतर अवसरों की तलाश में जैसे कि नौकरी और शिक्षा आदि के लिए दिल्ली और मुंबई जैसी महानगरीय शहरों में बस गए। पासवान परिवार के इतिहास में एक जटिल विकास है जिसमें पासवान परिवार के सदस्यों द्वारा वर्षों से विवरण जमा किए गए। पासवान का अंतिम नाम पुरानी पारिवारिक रेखा है जो पूरे शताब्दी में दुनिया भर में चले गए और जिसकी वजह से पासवान नाम बिखर गया, इसका कारण यह हुआ कि पासवान समाज की उत्पत्ति उजागर करना और भी चुनौतीपूर्ण हो गया।
पासवान का इतिहास
पासवान का विकास अपने शुरुआती मूल से शुरू हुआ। शुरुआती युग में पासवान नाम में कई बदलाव आये क्योंकि इतिहास में उस समय परिवार के नामों को शायद ही कहीं लिखा जाता था। पासवान सामाज एक ऐसा सामाज था जो राजपूत और राजा-महाराजाओं के साथ उठा-बैठा करता था। पासवान समाज के लोग अलग-अलग कला में माहिर थे जैसे की शिल्प-कला, स्थापत्य कला और मंदिर बनाने की कला आदि।
भारत में दूसरे धर्म के राजाओं के आगमन से पासवान समाज बिलकुल अलग थलग-पड़ गया क्यों की जिन कला में पासवान सामाज के लोग माहिर थे वो अब दूसरे धर्म के राजाओं के सोच-बिचार से बिलकुल मेल-जोल नहीं खातीं थीं नतीजतन पासवान सामज के लोग दुनिया के अन्य हिस्सों में चले गए और जो भारत में रह गए उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो गई है।
पासवान परिवार के सदस्यों ने पूरे इतिहास में दुनिया भर में यात्रा की है जहाँ उन्हें नई भाषा, संस्कृति और समुदाय का सामना करना पड़ा जिसकी वजह से उनके नाम में कई और बड़वाओ आएं।
पासवान जाति का मूल देश
पासवान जाती का राष्ट्रीयता बहुत सारे मामलों में निर्धारित करना जटिल है जो की समयँ के साथ अलग-अलग देश में बदल गया जिसकी वजह से मूल राष्ट्र एक रहस्य बन कर रह गया। पासवान कुलनाम की मूल जातीयता विवाद में हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप उपनाम विभिन्न स्थानों में पासवान अलग-अलग नाम से जाना जाता है अब सवाल है, की “क्या नाम रूपांतर संगठनात्मक या स्वतंत्र रूप से आया?”
उदाहरणार्थ: जैसे एक पेशे से आने वाले अंतिम नामों के मामले में, जो स्वतंत्र रूप से कई क्षेत्रों में प्रदर्शित हो सकते हैं (जैसे कि “दीन”, जो कि पुरोहित के सदस्यों द्वारा अपनाया गया )।
पासवान नाम का अर्थ
पासवान नाम शिल्पकार से आया, जैसे की “आर्चर” नाम एक “धनुधारी” को दिया गया। भारत और दुनिया भर में लोगो को नाम उनके व्यवसाय के आधार पर स्थानीय भाषा में दिया गया। यही कारण है कि किसी नाम की राष्ट्रीयता और इसकी पूर्वजों द्वारा बोली जाने वाली भाषा जानना आवश्यक है। पासवान जैसे कई नाम कुरान, बाइबल, भगवद्गीता आदि जैसे धार्मिक ग्रंथों से उत्पन्न होते हैं। अक्सर ये नाम धार्मिक प्रशंसा से संबंधित होते हैं जैसे “स्तुति की योग्यता”।
पासवान की नस्ल और राष्ट्रीयता
हमारे पास पासवान नाम की प्राथमिक जातीयता का कोई अभिलेख नहीं है। कई उपनाम पूरे युग में दुनिया भर में यात्रा करते हैं, जिससे उनकी मूल राष्ट्रीयता और जातीयता का पता लगाना मुश्किल हो जाता है।
पासवान वर्तनी विविधताएं
पासवान के उपनाम के गलत वर्तनी और वैकल्पिक वर्तनी को जानने के लिए नाम के इतिहास को समझना महत्वपूर्ण है। पासवान जैसे पारिवारिक नाम, उच्चारण और वर्तनी में बदलते हैं क्योंकि गांवों पारिवारिक रेखा और भाषाओं में समय-समय बदलते रहें। ऐसे समय में जब साक्षरता असामान्य थी, पासवान जैसे नामों को लिखित किया गया जहाँ लेखक द्वारा सुनाई जाने पर लोगों के नाम आधिकारिक अभिलेख में लिखे गए थे।
भारत में पासवान समाज के लोग उपनाम “पासवान”, “पासी” और “गुज्जर” आदि लिखते हैं।