इस वर्ष स्वयं को दें नए और बेहतर समाज का तोहफा

Give Yourself A New And Better Society Gift This Year

वक़्त अपने रफ़्तार से प्रगति पथ पर अग्रसर है। तारीखें बदलती जाती हैं,सप्ताह बदलते जाते हैं, फिर माह,फिर मौसम और साल भी बदल जाते हैं। इसी कड़ी में वर्ष 2016 को विदा करने और वर्ष 2017 के आगाज़ का वक़्त भी आ गया। नववर्ष के खुशियों में चार-चाँद लगाने के लिए उपहारों की बात करते हैं। आइए इस बार अपने समाज को उपहार दें।

Living Relationship क्या शादी है?

Abhay Deol And Preeti Desai

सुप्रीम कोर्ट के पास आए एक केस की सुनवाई के दौरान अदालत ने सरकार से पूछा है, कि क्या बिना शादी के लिव इन रिलेशनशिप में रहने के बाद शादी से मुकरने पर महिला के प्रति पुरुष की कोई जिम्मेदारी बनती? क्या ऐसे में पुरुष को महिला को गुजारा भत्ता या संपत्ति में अधिकार देना होगा? क्या ऐसे संबंध को अपने आप ही शादी की तरह देखा जा सकता है?

लड़की होने का एहसास: एक अफसोस या गर्व की बात

Indian Girls Group

लड़की होने का एहसास: एक अफसोस या गर्व की बात, इसमे कोइ शक नहीं, ज्यादा से ज्यादा लड़कीया आज पढ लिख के अपनी अलग पेहचान बनाने मे लगी हुइ है। उनके माँ- बाप भी समझ गऐ है, चाहे वो गांव के अनपढ ही क्यों ना हो

क्या आपको Onion बनाता है? मूल रूप से लोगों की परतें जो नहीं दिखती

Layers Of Onion

ओनियन और कहें तो प्याज, जो हमारे खाने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है पर जब हम उसे काटते हैं, तो आँखों से आंसू बहते हैं और एक के बाद एक कई परते निकल आती हैं और अंत में एक खोकला हिस्सा बचता है। पर उन सब परतों को मिला कर ही एक स्वादिष्ट भोजन बन पाता है। क्या हम सब भी उस प्याज की तरह नहीं है? कितनी ही परते हैं हमारे अन्दर, कोई नहीं जान पाता कि आखिर सच में हम क्या हैं। हम रोज़ अपने आप को अलग अलग परतों के अन्दर छुपा के रखते हैं। कई बार चाहते कुछ हैं पर बोलते कुछ और हैं।

हां, तुम मतलबी और स्वार्थी दोस्त हो

Selfish Person Female

हाँ, तुम मतलबी हो , बहुत दिनों से ये बात कहनी थी, पर हर बार यही सोच की तुम्हे बुरा लग जायेगा। पर अब और नहीं, बस अब और नहीं, तुमने कभी मेरी परवाह नहीं की। कभी मेरा साथ नहीं दिया। जब भी मुझे तुम्हारी ज़रूरत थी, तुम वहा नहीं थे मैंने अपनी हर परेशानी में खुद को अकेला ही पाया। तुम कहते हो कि तुम मेरे सब से अच्छे दोस्त हो, पर नहीं तुम इस लायक नहीं हो, तुमने हमेशा मेरा दिल दुखाया। यकीन नहीं आता न क्यूंकि तुमने कभी ये सोचा ही नहीं कि तुम्हारी वो बातें, जो तुमने ऐसे ही बोल दी थीं, उन्होंने मेरे दिल में कितनी गहरी चोट की है। चलो आज वो हर बात साफ़ कर लेते है — मैं हमेशा तुम्हारी सफलता में खुश होती और तुम को मैंने कभी अपनी सफलता में खुश होते नहीं देखा। जब मुझे तुमसे अच्छे मार्क्स मिलते, तो तुम कभी खुश नहीं होती बल्कि इसे बस एक इत्तेफाक की बात बोलती हमेशा सिर्फ अपनी ही सुनाती रही। कभी मुझे बोलने का मौका ही नहीं दिया। यहाँ तक की कई बार मेरी बात बीच में काट कर अपनी बात करना शुरू कर देतीं और जब तुम्हे लगता की कोई मेरी बात ध्यान से सुन रहा है, तो तुम फ़ौरन किसी न किसी तरह से बात काट देती और मुझे बोलने का मौका नहीं देती अपनी लाइ गई हर चीज़ को मेरी चीजों से बेहतर बताने की कोशिश करती, कभी मेरी किसी चीज़ की तारीफ नहीं की। मुझे हमेशा नीचा दिखाने की कोशिश की। कभी कोई मेरी तारीफ करता, तो तुरंत मेरी चार कमियाँ गिना देतीं जब कभी मैं तुम्हें फ़ोन करती, तो मेरे फ़ोन को उठाने की ज़हमत भी नहीं करती और बाद में एकअटपटा सा बहाना भी बना देती और अगर कभी अगर में तुम्हारा फ़ोन न उठा पाउँ, तो फ़ौरन बुरा मान जाती तुमने कभी मुझे अपना साथी नहीं बनाया। हमेशा मुझे यही जताया कि तुम्हारी वजह से ही मेरा वजूद है, वरना मुझे कोई पूछेगा भी नहीं मेरा कोई भी ख़ास दिन, यहाँ तक कि मेरा बर्थडे भी तुम्हे याद नहीं रहता और अगर में कभी तुम्हे विश करने में लेट हो जाऊँ, तो बस फिर तो मेरी खैर नहीं … जब कभी भी मैं बहुत उत्साह से तुम्हें कोई खबर सुनाती, तो तुम हमेशा इस कोशिश में दिखती की कैसे मुझसे पीछा छूटे। तुम्हारा व्यवहार मेरे पूरे उत्साह को ठंडा कर देता तुमने कभी मुझे अपने कुछ ख़ास दोस्तों से नहीं मिलवाया, पर मेरे बारे में सब कुछ पता रखने की कोशिश करती। जब कभी तुम्हें मुझसे कोई काम होता, तो तुम अचानक ही बड़े प्यार से बात करती। सच कहूँ मैं समझ जाती थी कि तुम को ज़रूर कोई काम है मुझसे और अगर में काम से मना कर दूँ, तो तुम्हारा रूप ही बदल जाता था जब कभी मैंने तुम्हे अपने साथ चलने को कहा, तुम बहानों की एक लम्बी लिस्ट गिना देती याद है तुम्हे, जब क्लास की एक लड़की ने तुम्हरे बारे में कुछ कहा था, तो मेने उससे कितना झगडा किया था पर तुमने तब मुझे ही गलत ठहरा दिया और सब के सामने मुझे शर्मिंदा होना पड़ा कितनी बार मेरे किये गये कामों का क्रेडिट मुझे ना मिल के तुम्हे मिल जाता क्यूंकि हम हमेशा साथ जो होते थे पर तुमने कभी कोशिश नहीं की लोगों को सच बताने की मुझे बहुत बुरा लगा था, जब मुझे पता चला कि तुमने मुझसे दोस्ती सिर्फ इसलिए की क्यूंकि तुम्हे मेरी दोस्त के करीब आना था। मैंने तुम्हे अपना दोस्त माना था पर तुमने सिर्फ मुझे इस्तेमाल किया हाँ तुम सब से गंदे हो, बहुत गंदे। सब ने मेरा दिल दुखाया। मैं किसी को दोष नहीं देती क्यूंकि गलती मेरी थी क्यूंकि में हमेशा से जानती थी कि तुम मतलबी हो, पर शायद अपनी किसी कमजोरी की वजह से या तुमसे दूर हो जाने के डर से में हमेशा तुम्हारा साथ देती रही खुद को दुखी करती रही। बस अब और नहीं अब मुझे खुद को बदलना है, इसके लिए ज़रूरी है की मैं खुद को तुम जैसे लोगों से दूर कर लूँ, ताकि मैं खुद को भी मौका दे सकूँ तो बस, बाय! बाय! अलविदा …………..