इस भाग दौड़ की ज़िन्दगी में हम सभी लोग न तो ठीक से खाना खा पाते हैं और न ही एक अच्छी नींद ले पाते हैं और इसके साथ – साथ हम अपना ख्याल भी सही ढंग से नहीं रख पाते हैं। एक अच्छी और स्वस्थ ज़िन्दगी के लिए हमें खुद पर ध्यान देना बेहद जरुरी होता है। अगर हम अपने स्वास्थ की तरफ ध्यान नहीं देंगे तो हमारा स्वास्थ ख़राब हो जायेगा। सबसे ज्यादा ध्यान तो महिलाओं को खुद पर देना चाहिए क्योंकि उनकी स्थिति दिन-प्रतिदिन बिगड़ती ही जा रही है। महिलाओं को एक साथ बहुत से काम हो जाते हैं जैसे घर को संभालना घर का पूरा काम देखना, बच्चों को संभालना, उनको स्कूल के लिए तैयार करना, उनकी टिफिन तैयार करके उन्हें स्कूल भेजना, पति के लिए टिफिन तैयार करना, उसके बाद घर के सभी काम वक्त पर ख़त्म करके दफ्तर जाना, इन सभी कार्यों के बीच महिलाएं फांसी रहती हैं जिससे वो खुद के स्वास्थ पर ध्यान नहीं दे पाती ऐसे में उन पर तनाव और बढ़ता है इन सभी के बीच वो अपने सेहत के साथ समझौता करती हैं और उनका स्वास्थ ख़राब हो जाता है।
आज के समय में महिलाओं की स्थिति और अधिक विचारनीय है
ऐसी व्यस्त ज़िन्दगी में महिलाओं का अपने स्वास्थ पर ध्यान न देकर, स्वास्थ को अनदेखा करना विभिन्न प्रकार की समस्याएं पैदा करता है। जिसमें से एक बहुत बड़ी समस्या पीसीओडी और पीसीओएस है। आज के कई सालों पहले यह समस्या लगभग ३५ से ४० वर्ष से ऊपर की महिलाओं में पायी जाती थी लेकिन आज समय इतना बदल चुका है कि १२ साल की बच्ची से लेकर ४५ साल तक की महिलाओं में यह समस्या पायी जाने लगी है। यह बीमारी जिस किसी भी महिला को हो जाती है उस महिला पर अन्य बीमारियों का भी खतरा बना रहता है। इसीलिए जरुरी यही है कि महिलाएं अपने सभी कार्यों को करने के साथ – साथ अपने स्वास्थ का भी पूरा ध्यान रखें ताकि वो किसी भी प्रकार की बीमारी से बच सकें।
क्या है पीसीओडी और पीसीओएस?
“पीसीओडी यानि पॉली सिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर’ और पीसीओएस यानि ‘पॉली सिस्टिक ओवरी सिंड्रोम” एक मेडिकल कंडीशन है जो कि महिलाओं में हॉर्मोन में असंतुलन की स्थिति के कारन पाई जाती है जिसमेँ महिला के गर्भाशय में पुरुष हार्मोन एण्ड्रोजन का स्तर बढ़ जाता है और ओवरीज पर एक से ज्यादा सिस्ट हो जाते हैं। साथ ही यह जैनेटिकली भी हो सकती है। हार्मोनों के इस असंतुलन के कारण, महिलाओं के मासिक चक्र में अनियमितता आ जाती है और इस कारण से ओवुलेशन की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न होती है। वर्तमान समय में अगर देखें तो हर दस में से एक गर्भधारण करने वाली महिला इस बीमारी का शिकार हो रही हैं। विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि जो महिलाएं तनाव भरा जीवन जीती हैं उन महिलाओं में पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम होने की संभावना अधिक हो जाती है। पीसीओएस की समस्या होने पर अक्सर महिलाओं को गर्भधारण में दिक्कत होती है। क्योंकि इस बीमारी में अंडाणु पूरी तरह विकसित नहीं हो पाते जिसके कारण महिलाएं गर्भधारण नहीं कर पाती हैं।
क्या आप इसका शिकार हैं?
- जिन लड़कियों में पीरियड्स की समस्या देखने को मिलती है उन लड़कियों को पॉली सिस्टिक ओवेरियन डिजीज यानि पीसीओडी की समस्या का सामना करना पड़ता है। लेकिन महिलाएं पीरियड में आ रही समस्याओं को हल्के में ले लेती हैं लेकिन अगर कम उम्र के चलते ही इस समस्या का पता लग जाए तो इसे काबू में किया जा सकता है।
- जिन लड़कियों या महिलाओं का वजन बढ़ रहा होता है और लाख कोशिशों के बाद भी उनके वजन को कम नहीं किया जा सकता है तो ऐसी महिलाओं में पीसीओडी या पीसीओएस की समस्या हो सकती है।
- अगर किसी महिला को जरूरत से ज्यादा थकान महसूस होती है। वह किसी भी छोटे से छोटे काम को करने में थक जाती है तो उसमें पीसीओडी या पीसीओएस की समस्या हो सकती है।
- अगर किसी लड़की या महिला के शरीर या चहरे पर जरूरत से ज्यादा बाल हैं तो उस महिला और लड़की को भी पीसीओडी या पीसीओएस का सामना करना पड़ सकता है।
- इन सभी समस्याओं के अलावा अगर किसी महिला के बाल काफी झड़ रहे हैं या पतले हैं तो उस महिला को भी पीसीओडी या पीसीओएस का सामना करना पड़ सकता है।
- जिन लड़कियों या महिलाओं को पीरियड के समय अधिक दर्द होता है उन महिलाओं में भी पीसीओडी या पीसीओएस का खतरा बना रहता है।
- अगर किसी लड़की या महिला के चेहरे पर मुहांसे हैं और लाख कोशिशों के बाद भी उनसे छुटकारा नहीं मिल रहा है तो यह भी पीसीओडी या पीसीओएस हो सकता है।
- लड़कियों और महिलाओं में अगर सिर दर्द की समस्या अधिक है और रेगुलर सिर दर्द होता है तो इसका मतलब वह भी पीसीओडी या पीसीओएस का शिकार हो सकती है।
- इसके साथ ही अगर महिलाओं में नींद न आने की समस्या भी है तो यह पीसीओडी या पीसीओएस के लक्षण हैं।
- ऐसी महिलाएं जो लगातार गर्भनिरोधक गोलियां लेती हैं उन महिलाओं में भी पीसीओडी और पीसीओएस की समस्या पैदा हो सकती है।
- कुछ महिलाओं के शरीर में सूजन होने लगती है जिससे हार्मोनों का संतुलन बिगड़ता है और उन्हें भी पीसीओडी या पीसीओएस की समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
ऊपर बताई गयी इन सभी लक्षणों में से अगर आपमें कोई भी लक्षण है तो संभवतः आप पीसीओडी या पीसीओएस का शिकार हैं। लेकिन आपको इस बात का पता नहीं है। अगर ये सारी समस्याएं आपकी ज्यादा गंभीर हो जाती है तो फिर आपको गर्भधारण करने में भी समस्याएं उत्पन्न होंगी। इसीलिए अगर आप इन समस्याओं से बचना चाहती हैं तो अपने खान – पान का ध्यान रखें, इसके साथ ही अपने वजन को भी बढ़ने न दें और नियमित व्यायाम करें और इन सभी चीजों को करने के साथ ही अपने लाइफ स्टाइल को भी बदलें। अगर आप इन सभी चीजों को अपनी ज़िन्दगी में अपनाती हैं तो आपको कभी भी पीसीओडी और पीसीओएस का सामना नहीं करना पड़ेगा।