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क्या मंकीपॉक्स बनेगा अगला COVID-19? जानिए सच

लेखक: लेखसागर टीम
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2024 में, भारत में मंकीपॉक्स (Monkeypox) का एक नया मामला दर्ज हुआ है, जिसने देश की स्वास्थ्य सेवाओं को सतर्क कर दिया है। हालांकि यह बीमारी अभी तक व्यापक स्तर पर नहीं फैली है, लेकिन इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। पिछले कुछ वर्षों में, मंकीपॉक्स के मामले कई देशों में रिपोर्ट हुए हैं, और अब भारत में भी इसके नए मामले सामने आ रहे हैं। इस लेख में हम मंकीपॉक्स की उत्पत्ति, इसके लक्षण, टीकाकरण और भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में चर्चा करेंगे। साथ ही, हम यह भी जानने की कोशिश करेंगे कि क्या मंकीपॉक्स की स्थिति COVID-19 से भी बदतर हो सकती है।

मंकीपॉक्स की उत्पत्ति और टीकाकरण का महत्व

मंकीपॉक्स वायरस की उत्पत्ति अफ्रीका के जंगलों में रहने वाले बंदरों से हुई मानी जाती है। यह एक ज़ूनोटिक बीमारी है, जिसका मतलब है कि यह जानवरों से इंसानों में फैलती है। 1970 में पहली बार इस वायरस की पहचान हुई थी। हालाँकि यह वायरस छोटे स्तर पर ही फैलता था, लेकिन अब यह नए वेरिएंट्स के साथ सामने आ रहा है, जो थोड़े अलग हैं लेकिन काउपॉक्स और स्मॉलपॉक्स के परिवार से ही संबंधित हैं।

यहां पर एक महत्वपूर्ण बात यह है कि मंकीपॉक्स उन्हीं लोगों को प्रभावित कर रहा है जिन्होंने स्मॉलपॉक्स (Smallpox) या काउपॉक्स (Cowpox) का टीका नहीं लिया है। स्मॉलपॉक्स का टीकाकरण पूरी दुनिया से इस बीमारी के उन्मूलन के बाद बंद हो गया था, और इसी कारण से आज की पीढ़ी में मंकीपॉक्स के प्रति इम्युनिटी की कमी है। स्मॉलपॉक्स के खिलाफ जो टीका दिया जाता था, वह मंकीपॉक्स के खिलाफ भी प्रभावी था। लेकिन जैसे-जैसे स्मॉलपॉक्स दुनिया से गायब हो गया, इसका टीकाकरण भी बंद हो गया।

मंकीपॉक्स के लक्षण

मंकीपॉक्स के लक्षण कुछ हद तक स्मॉलपॉक्स के लक्षणों से मिलते-जुलते हैं, लेकिन यह थोड़ा कम घातक है। शुरुआती लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, और थकावट शामिल हैं। इसके बाद, 1-3 दिनों में चेहरे और शरीर पर रैशेज (Rashes) उभरने लगते हैं, जो धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैल जाते हैं। ये रैशेज पहले लाल धब्बों के रूप में शुरू होते हैं और फिर ब्लिस्टर्स (Blisters) और पस (Pus) से भरे फफोलों में बदल जाते हैं। समय के साथ ये फफोले सूखकर स्कैब्स (Scabs) में बदल जाते हैं और फिर गिर जाते हैं।

मंकीपॉक्स के कुछ मामलों में गंभीर जटिलताएं भी हो सकती हैं, जैसे कि सेप्सिस, ब्रॉन्कोपॉक्स, और आंखों में संक्रमण, जिससे अंधापन भी हो सकता है। खासकर बच्चों और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों में यह बीमारी अधिक घातक हो सकती है।

भारत सरकार के कदम

भारत सरकार ने मंकीपॉक्स के खतरे को देखते हुए कई कदम उठाए हैं। सभी हवाई अड्डों और बंदरगाहों पर यात्रियों की स्क्रीनिंग की जा रही है। खासकर उन देशों से आने वाले यात्रियों पर खास ध्यान दिया जा रहा है, जहां मंकीपॉक्स के मामले अधिक संख्या में सामने आए हैं। सरकार ने सभी राज्यों को अलर्ट जारी किया है और संभावित मामलों की रिपोर्ट करने के निर्देश दिए हैं।

साथ ही, भारत सरकार ने आवश्यक दवाओं और उपकरणों की आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए भी कदम उठाए हैं। हालांकि अभी तक मंकीपॉक्स के लिए कोई विशेष टीका विकसित नहीं किया गया है, लेकिन स्मॉलपॉक्स के पुराने टीके का उपयोग करने पर भी विचार किया जा रहा है।

क्या मंकीपॉक्स COVID-19 से भी बदतर हो सकता है?

यह सवाल लोगों के मन में गहराई से बैठा हुआ है कि क्या मंकीपॉक्स की स्थिति COVID-19 जितनी खतरनाक हो सकती है। मंकीपॉक्स और COVID-19 दोनों ही वायरल संक्रमण हैं, लेकिन उनके फैलने और घातकता के पैटर्न अलग हैं। COVID-19 का फैलाव सांस के जरिए होता है, जो इसे बहुत तेजी से फैलने वाला बनाता है, जबकि मंकीपॉक्स का फैलाव आमतौर पर त्वचा के संपर्क या संक्रमित व्यक्ति के द्रव्यों के संपर्क से होता है।

मंकीपॉक्स की संक्रमण दर और घातकता अभी तक COVID-19 जितनी नहीं देखी गई है। लेकिन फिर भी, इसके नए वेरिएंट्स को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अगर इसे समय रहते नहीं रोका गया, तो यह गंभीर रूप ले सकता है। इसलिए, इस बीमारी पर लगातार नजर बनाए रखना और आवश्यक कदम उठाना बेहद जरूरी है।

निष्कर्ष

मंकीपॉक्स एक गंभीर स्वास्थ्य चुनौती के रूप में उभर रहा है, खासकर उन लोगों के लिए जिन्होंने स्मॉलपॉक्स का टीका नहीं लिया है। भारत में इसके नए मामलों का सामने आना एक चेतावनी है कि हमें सतर्क रहना चाहिए। सरकार द्वारा उठाए गए कदम सही दिशा में हैं, लेकिन यह बीमारी कितनी गंभीर हो सकती है, इसका अनुमान लगाना मुश्किल है।

इसलिए, मंकीपॉक्स की स्थिति पर लगातार निगरानी और जरूरी उपाय करने से ही हम इसे COVID-19 जैसी गंभीरता से बचा सकते हैं। जागरूकता और टीकाकरण के माध्यम से इस बीमारी पर काबू पाया जा सकता है, लेकिन इसके लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता होगी।

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