रिसर्च में यह साबित हुए है कि ब्रेन स्ट्रोक और ब्रेन हैमरेज का खतरा सर्दियों में बढ़ जाता है। कुछ बातों का ध्यान रखकर ब्रेन हेमरेज और ब्रेन स्ट्रोक के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है। आज हम इस लेख में पड़ेंगे कि हमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और ऐसा क्या करना चाहिए कि ब्रेन हेमरेज या ब्रेन स्ट्रोक के खतरे से बचा जा सके खासतौर पर सर्दियों में क्योंकि सर्दियों में ब्रेन स्ट्रोक या ब्रेन हेमरेज का खतरा अधिक होता है।
सर्वप्रथम आपको यह ज्ञात होना चाहिए कि ब्रेन हेमरेज और ब्रेन स्ट्रोक में क्या अंतर है तथा इसके क्या कुछ लक्षण होते हैं। जिससे आपको इनके बीच में अंतर करने में आसानी हो और आप सही वक्त पर डॉक्टर या हस्पताल से संपर्क कर सकें तथा समय रहते सही इलाज करवा सकें।
ब्रेन हेमरेज के स्थिति में मरीज के दिमाग के अंदर या दिमाग के बाहर खून की कोशिकाएं या नली फट जाती हैं जिससे ब्रेन के अंदर रक्त बहने लगता है। ब्रेन हेमरेज के लक्षण आसानी से देखे जा सकते हैं जैसे कि अचानक बहुत तेज सर दर्द करना, बेहोशी छा जाना या उल्टी आना आदि ब्रेन हेमरेज के कुछ सिम्टम्स है। ब्रेन हेमरेज के परिस्थिति में मरीज को पैरालिसिस होने का खतरा रहता है क्योंकि मस्तिष्क में खून के बहने से खून के थक्के बन सकते हैं तथा इसको हटवाने के लिए सर्जरी करवाना आवश्यक पड़ सकता है।
जबकि ब्रेन स्ट्रोक की परिस्थिति में रक्त की कोशिकाओं में किन्ही तरह की अड़चन या दिमाग में पर्याप्त मात्रा की खून की सप्लाई में कमी या रुकावट होना जिसके वजह से दिमाग की कोशिकाओं को सही मात्रा में हवा अर्थात ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की कमी होना ब्रेन स्ट्रोक का कारण बनता है। जिसमें पोषक तत्वों तथा ऑक्सीजन की कमी से दिमाग की कोशिकाएं मृत होने लगती हैं और ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। ऐसा नहीं है कि ब्रेन हेमरेज की ही स्थिति में पैरालिसिस हो सकता है क्योंकि पैरालिसिस ब्रेन स्ट्रोक या किसी नस के प्रभावित होने की वजह से भी हो सकता है।
क्या कुछ है ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण?
जैसा की आप सभी को मालूम है कि मस्तिष्क हमारे शरीर का एक अहम भाग है जो हमारे पूरे शरीर को काबू करता है तथा निर्देश देने का काम करता है। साथ ही साथ यह चीजों तथा बातों को स्टोर अर्थात याद रखने के लिए होता है। ब्रेन स्ट्रोक या ब्रेन हेमरेज की स्थिति में मरीज के शरीर में कई तरह के सिम्टम्स देखे जा सकते हैं। जिनमें से हैं शरीर के किसी भी भाग में कमजोरी महसूस होना, जुबान लड़खड़ाना या बोली ना निकलना, देखने तथा चीजों को पहचानने में समस्या होना, चक्कर तथा बेहोशी छाना के साथ साथ चलने फिरने में परेशानियां आदि। यदि आपको इनमें से कोई सिम्टम्स नजर आए तो बिना समय गवाएं हस्पताल से संपर्क करना चाहिए जहां पर इसका इलाज उपलब्ध हो क्योंकि इसका इलाज हर अस्पताल में मौजूद हो यह जरूरी नहीं।
ब्रेन स्ट्रोक से कैसे बचें?
1. नियमित एक्सरसइज करें
वैसे तो नियमित एक्सरसाइज प्रत्येक व्यक्ति के लिए आवश्यक है जिससे हमारे शरीर में तंदुरुस्ती के साथ-साथ अच्छी सेहत भी बनी रहती है। किंतु ब्रेन स्ट्रोक ओर ब्रेन हेमरेज के मरीजों को नियमित एक्सरसाइज अत्यंत ही आवश्यक है। एक्सरसाइज करने से पहले ध्यान रखें कि यदि रक्त चाप या ब्लड प्रेशर की रेटिंग 140/9 या उससे अधिक है तो टहलने या एक्सरसाइज करने से पहले डॉक्टर से जरूर संपर्क करें। इस परिस्थिति में शरीर को और अधिक नुकसान पहुंच सकता है। साथ ही साथ यह जरूरी नहीं कि आप कठोर व्यायाम या एक्सरसाइज करें, क्योंकि जोगिंग, एरोबिक्स, आउटडोर गेम्स आदि खेलने या करने से भी एक्सरसाइज का लाभ मिल सकते हैं। यदि आप की उम्र 60 साल या उससे अधिक है तो आप साधारण व्यायाम जैसे वाकिंग या ब्रिक्स वर्क की मदद से अपनी सेहत को बरकरार रख सकते हैं। याद रखें यह बयान नियमित रूप से करना होगा जभी इसका संपूर्ण लाभ प्राप्त हो सकता है।
2. खाने का रखें ध्यान
सही मात्रा में खानपान हमारे स्वस्थ शरीर के लिए अत्यंत आवश्यक है। सर्दियों में यह देखा गया है कि हमारी भूख में वृद्धि हो जाती है। हम गर्मियों के मुकाबले सर्दियों में अधिक भोजन का सेवन करने लगते हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि सर्दियों में हमारे शरीर को अपना नॉर्मल तापमान बरकरार रखने के लिए ज्यादा एनर्जी की आवश्यकता होती है जो कि भोजन पचारकर तथा भोजन के कई प्रकार के चीजों से मिलती हैं। साथ ही साथ सर्दियों में तेल, घी तथा चीनी आदि की मात्रा भी हमारे भोजन में बढ़ जाती हैं। जोकि हमारे शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकता है, खासतौर पर बीपी के मरीजों में। इसका यह मतलब नहीं है कि आप खाने में कमी कर दें या इन चीजों का सेवन बंद कर दें क्योंकि यह सारी चीजें हमारे शरीर के लिए आवश्यक है पर एक सही मात्रा में। शरीर के शुगर की पूर्ति के लिए आप मिठाई और शुगर की जगह आधा संतरा, सेब या अन्य तरह के फलों का सेवन कर सकते हैं।
3. मोटापे से बचें
मोटापे से ना केवल डायबिटीज या ओबेसिटी की समस्या होती है, किंतु इससे अन्य प्रकार की कई परेशानियां तथा बीमारियां पनप सकती हैं। सर्दियों में यह देखा गया है कि हम खान पीन में वृद्धि कर देते हैं तथा एक्सरसाइज और नियमित व्यायाम में कमी कर देते हैं या संपूर्णता हम व्यायाम करना ही छोड़ देते हैं। जिससे हमारे शरीर में अधिक मात्रा में फैट जमने लगता है और हमारा वजन भी बढ़ने लगता है। वजन बढ़ना बीपी के तथा शुगर के मरीजों में ज्यादा समस्या खड़ी कर सकता है इसलिए अपने वजन का तथा मोटापे का ध्यान रखें और खानपान के तौर-तरीकों में भी मौसम के हिसाब से परिवर्तन करते रहें जिससे हमारे शरीर को सही मात्रा में पोषण तो मिले ही साथ ही साथ वजन भी सही बना रहे।
5. नशा न करें
नशा करने से ना केवल कैंसर, टीवी, हृदय रोग आदि होता है किंतु इससे अनगिनत बीमारियां शरीर में उत्पन्न हो सकती हैं। जिनमें से कई तो लाइलाज हैं तथा हमें पूरी उम्र इन बीमारियों के साथ जीना पड़ सकता है। साथ ही साथ नशा करने से हमारी आयु भी कम होती है। जो लोग नशा करते हैं उनमें यह देखा गया है कि सर्दियों में खुद को गर्म रखने के लिए धूम्रपान, मदिरापान या तंबाकू आदि का सेवन अधिक मात्रा में करने लगते हैं। जो कि हमारे शरीर के लिए अत्यंत ही खतरनाक है और बीपी के साथ साथ कई नई बीमारियों को जन्म दे सकता है।
6. सही मात्रा में पानी पीएं
सही मात्रा में पानी पीना हमारे शरीर के लिए अत्यंत ही आवश्यक है किंतु यह देखा गया है कि सर्दियों में लोग पानी पीना अत्यंत ही कम कर देते हैं। सर्दियों में हमें प्यास भी कम लगती है किंतु इसका यह अर्थ नहीं कि हमारे शरीर को पानी की आवश्यकता नहीं हो रही या होती हैं। चाहे गर्मी हो या सर्दी हमारे शरीर को अपना मेटाबॉलिज्म बरकरार रखने के लिए तथा शरीर के अलग-अलग अंगों के भाग में पौष्टिक तत्वों की सप्लाई करने हेतु शरीर में सही मात्रा में पानी मौजूद होना आवश्यक है। हमारे शरीर का सही तापमान बरकरार रखने के लिए पानी सही मात्रा में शरीर में मौजूद होना अत्यंत ही आवश्यक होता है। जिसकी पूर्ति हम केवल सही मात्रा में पानी पीने से कर सकते हैं। शरीर में पानी की कमी होने से कई तरह की परेशानियां का सामना करना पड़ सकता है। जैसे कि सर दर्द होना, शरीर दर्द होना, खून गाढ़ा होना तथा खून के थक्के जमना आदि की आशंका बढ़ जाती हैं नतीजतन ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
ब्रेन स्ट्रोक या ब्रेन हेमरेज का खतरा सर्दियों में ज्यादा क्यों होता है?
यह जरूरी नहीं है कि सर्दियों में ही ब्रेन स्ट्रोक या ब्रेन हेमरेज का खतरा ज्यादा होता है, क्योंकि यह किसी वक्त या किसी मौसम में हो सकता है किंतु सर्दियों में इसका थोड़ा खतरा अधिक होता है। सर्दियों में हमारी शरीर की नसे थोड़ी सिकुड़ जाती हैं जिसके कारण खून का बहाव शरीर में ठीक ढंग से हो नहीं पाता और इससे कई तरह की समस्या हो सकती हैं जैसे कि ब्लड प्रेशर बढ़ जाना और भीषण परिस्थितियों में दिमाग की नसें फट जाना आदि।