एक समय था जब मीडिया को विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका पर नजर रखने की वजह से इसे लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता था। हालाकि कागजों और बड़े-बड़े भाषणों में मीडिया की महानता का बखान करते हुए, आज भी इसे लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहा जाता है, पर आज इसकी विश्वसनीयता खतरें में है। आज के समय में हम हर उस खबर पर यकीन नहीं कर सकते, जो हमें दिखाई जाती है।
आज के समय में मीडिया ने अपने लालच और स्पर्धा के जाल में फंसकर अपनी भूमिका को कलंकित किया है। निहित स्वार्थों के लिये मीडिया ने यलो जर्नलिज़्म और सरकार की चापलूसी जैसी खबरों को जगह देकर अपनी निष्पक्षता पर सवाल लगा लिए है। आज का समय वो नहीं रहा जिसमें खबरें लोगों के पास सिर्फ समाचार पत्र के माध्यम से ही पहुंचती हो। आज का समय वो है जिसके पास मोबाइल है तो समझो उसके पास खबर है। एक ओर जहाँ वेब पत्रकारिता ने कई ऐसे मुद्दे देश के सामने उठाये जो बदलाव ले कर आए हैं।
वहीं दूसरी और इसका एक रूप और भी है। जिसकी वजह से समाज में फ़ैल रही अश्लीलता, चोरी, गुंडागर्दी जैसी घटना बड़ी हैं। लोग कुछ नए के चक्कर में कुछ भी करके नेट पर डालने लगे। इंटरनेट के माध्यम से असामाजिक चीजें बढ़ गई। अगर मीडिया खबरों के बीच सामंजस्य बैठा ले और निष्पक्षता का साथ देते हुए खबर की संवेदनशीलता को समझते हुए देश के सामने परोसे तो कहना ही क्या।
वैसे हम यहाँ मीडिया की बुराई पर चर्चा न करते हुए, इस बात ध्यान देते हैं की क्यों आज के समय में मीडिया को निष्पक्ष होना जरूरी है। क्यों मीडिया को किसी के स्वार्थ पूर्ति का साधन नहीं बनना चाहिए। ऐसी कौन-कौन से कारण है जिसकी वजह से इसकी निष्पक्षता आवश्यक है?
क्योकिं मीडिया को कहते है चौथा स्तंभ:
सबसे बड़ी बात जब मीडिया को चौथा स्तम्भ कहा जाता है, तो इसकी नैतिक जिम्मेदारी बन जाती है, की इसको निष्पक्ष होना जरूरी है। मान लो विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका अपने काम को निष्पक्ष रूप से नहीं करते हैं। तो इनको इनकी गलती बताने के लिए ऐसा माध्यम चाहिए, जो इन्हें बता सके की ये स्तंभ कहा गलत कर रहे हैं। इस बात को हम एक उदाहरण के साथ समझते हैं। किसी घर को चार लोग (विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका और मीडिया) मिलकर चलाते हैं। वो चारों अपने- अपने काम को ईमानदारी से करते हैं। एक समय ऐसा आता है की तीन लोग अपने काम में ईमानदारी नहीं दिखाते, तो उस समय जो चौथा व्यक्ति है वो इस बात का उन तीनों को बताता है, बिल्कुल निष्पक्षता और साक्ष्य के साथ। तो उन तीनों को अपने काम में ईमानदारी दिखाना जरूरी होता है।
क्योकिं मीडिया है समाज की शक्ति:
आज के समय में अगर पावर की बात करें, तो मीडिया वो शक्ति है जिसके उपयोग से कोई भी अर्श से फर्श पर भी आ सकता है, और फर्श से अर्श तक भी जा सकते हैं। जब यह शक्ति निष्पक्ष रूप से काम नहीं करेगी, तो समाज में घट रही, ऐसी घटनाएँ जो देश को बदल कर रख देगी, वो आप तक कैसे पहुचेगी। खबर अच्छी हो या बुरी अगर वो निष्पक्ष है तो ही उसमें सब का हित है। अगर उसे निष्पक्ष रूप से न रखा गया तो हित की बजाए अहित भी हो सकता है।
क्योकिं मीडिया बनाती है निर्भीक:
कोई घटना सच्ची है और मीडिया उस खबर को जब निर्भीक रूप से जनता के सामने रखती हैं तो खबर बदलाव की लहर लाती है। जब निष्पक्ष मीडिया की शक्ति व्यक्ति के साथ होती है, तो वो व्यक्ति निर्भीक हो जाता है। अब इसी बात का दूसरा पहलू देखते हैं, अगर किसी ने अपने स्वार्थ के लिए मीडिया का प्रयोग किया तो वो निर्भीक हो कर अपने किसी भी काम को अंजाम दे सकता है। उसे पता रहता है की मीडिया वहीँ दिखाएगी जो वो बोलेगा, इसलिए वो फिर सही गलत नहीं देखेगा। सिर्फ अपना स्वार्थ देखेगा। जब व्यक्ति स्वार्थ के साथ लिए इसका प्रयोग करने लगता है तो चीजे बहुत ही भयानक हो जाती है।