ओनियन और कहें तो प्याज, जो हमारे खाने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है पर जब हम उसे काटते हैं, तो आँखों से आंसू बहते हैं और एक के बाद एक कई परते निकल आती हैं और अंत में एक खोकला हिस्सा बचता है। पर उन सब परतों को मिला कर ही एक स्वादिष्ट भोजन बन पाता है। क्या हम सब भी उस प्याज की तरह नहीं है? कितनी ही परते हैं हमारे अन्दर, कोई नहीं जान पाता कि आखिर सच में हम क्या हैं। हम रोज़ अपने आप को अलग अलग परतों के अन्दर छुपा के रखते हैं। कई बार चाहते कुछ हैं पर बोलते कुछ और हैं।
कभी दूसरों की ख़ुशी के लिए तो कभी किसी डर से। सच कहें तो शायद हम वास्तव में क्या हैं, ये कोई नहीं जान पाता। कभी कभी तो हम खुद भी अनजान होते हैं इस बात से कि हम वास्तव में क्या चाहते हैं। चलिए आज यही जानने की कोशिश करते हैं कि हमारे जीवन में या हमारे व्यक्तित्व में कितनी परते हैं, जो हम लोगो से छुपा के रखते हैं।
यहाँ हम व्यक्तित्व की पांच लेयर का विश्लेषण कर रहे हैं। कभी आपने अपने बारे में इस तरह से नहीं सोचा होगा —
- क्लिच लेयर
- रोल लेयर
- फोबिक लेयर
- इम्पस लेयर
- कोर लेयर
First Layer — पहली लेयर, ‘क्लिच लेयर’
ये हमारे उस स्वाभाव को बताती है, जब हम किसी परिस्थितिवश बिना किसी गहरे अर्थ के किसी से बात-चीत करते हैं, जैसे कि जब हम किसी पार्टी में जाते हैं और जब हम किसी नए व्यक्ति से मिलते हैं या किसी अजनबी व्यक्ति के साथ समय बिताते हैं या अक्सर ट्रेन और बस या लिफ्ट में हम कई बार बस ऐसे ही बात करते हैं, जबकि हम जानते हैं की भविष्य में शायद हम उस व्यक्ति से कभी न मिलें पर उस वक़्त समय बिताने के लिए ये छोटी सी बातें भी बहुत महत्व पूर्ण होती हैं और इस तरह के मौको पे हम किस तरह का बर्ताव करते हैं, यह भी हमारे व्यक्तित्व का एक पहलू है क्यूंकि हर व्यक्ति का बर्ताव इस परिस्थिति में अलग होता है।
जब एक बच्चा पैदा होता है, तब उसकी यही लेयर उसके व्यवहार को निर्धारित करती है। कभी देखा है आपने बच्चे अनजान लोगों को देख कर कभी हँसते हैं, तो कभी रोते हैं क्यूंकि वो नही समझ पाते की किस तरह का व्यवहार करना है और यही हाल हमारा होता है, जब हम अजनबियों के बीच फंस जाते हैं।
Second Layer — द्वितीय परत, ‘रोल लेयर’
हम सभी अपने जीवन में अपनी आजीविका के लिए कुछ न कुछ काम करते हैं, कोई बैंकर है, तो कोई डॉक्टर, कोई मोची, तो कोई बेकर। सब अपना काम करते हैं। हम सबका एक रोल है, जो हम करते हैं। एक भूमिका, जो हम रोज़ सुबह से लेकर शाम तक निभाते हैं और वो हमारे व्यक्तित्व का एक हिस्सा बन जाता है और यही इस दुनिया को देखने का हमारा नजरिया भी निर्धारित करता है और ये दुनिया भी हमें उसी भूमिका से जानती है पर अपनी इसी भूमिका के पीछे हम बहुत कुछ छुपा के रखते हैं।
जैसे कि एक स्त्री, जो एक सफल बिज़निस विमेन है, अपने आपको एक गृहणी से ज्यादा सफल और महत्वपूर्ण मानती है या एक हाउस वाइफ अपने आपको एक सफल इंसान नहीं समझती।
ये केवल हमारी सोच है, जबकि दोनों इस समाज को चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं।
अगली लेयर की शुरुआत यही से होती है जिसे ‘फोबिक लेयर’ कहते हैं।
ये हमारे अन्दर गहरे छुपे उस डर को दर्शाती है, जिसके बाहर आने से हम सब डरते हैं। हम सब अपनी भूमिका तो निभाते हैं पर अंदर ही अंदर डरते हैं। ये डर कई तरह का होता है। इस डर की वजह से कई बार हम अपने आपको दूसरों से कमतर समझने लगते हैं, तो कभी दूसरों से बहुत ऊपर।
अब जैसे मैं सोचूँ कि मैं एक साधारण गृहणी हूँ, तो मैं अपने आपको एक सफल व्यवसायी महिला से कमतर समझने लगूंगी, पर इस प्रकार में एक सफल माँ होने के स्तर को कमतर कर दूंगी क्यूंकि माँ होना तो सबसे सम्मान की बात है इसलिए यह आवश्यक है कि हम अपने अन्दर छुपे डर को जाने और उन पर काबू पाएं, अन्यथा हम अपने सम्मान को स्वयं ही खो देंगे।
क्यों ? क्यूंकि यही से शुरुआत होती है गतिरोध लेयर (इम्पास लेयर) की
इस लेयर में हम अपने डर पर काबू पाने की कोशिश करते हैं। अपने डर से आंखे मिलाके बात करते हैं और उसके ऊपर विजय प्राप्त करने की कोशिश करते हैं। ये लेयर हमारे विकास और हमारे स्वयं की खोज में महत्वपूर्ण होती है।
ये एक जादुई लेयर है, जो हमें महानता की ओर ले जाती है। साधारण मनुष्य कभी इस लेयर से बाहर नहीं आ पाते और जो इस लेयर से बाहर आ जाते हैं अपने डर पर विजय प्राप्त कर लेते हैं। उनके लिए महानता के द्वार खुल जाते हैं।
अगली लेयर है, ‘कोर लेयर’
ये किसी भी पल हमारी सच्ची संवेदना और किसी भी पल को लेकर तुरंत की गई प्रतिक्रिया को दर्शाती है। किसी भी पल को लेकर हमारी ख़ुशी- गम गुस्सा आदि को बताती है। यही वो लेयर है, जो हमे जीवन का एहसास कराती है, अन्यथा हम में और मृत व्यक्ति में क्या फर्क रह जायेगा?
हम जब छोटे होते हैं, तो किसी विषय को लेकर हमारा व्यवहार अलग होता है, जो समय और अनुभव के साथ बदलता जाता है। बचपन में जो बाते हम समझ नहीं पाते युवा होने पर उन्ही बातों पर गुस्सा दिखाते हैं पर फिर समय के साथ हम शांत हो जाते हैं।
यही वो परतें हैं, जो हमारा व्यवहार निर्धारित करती हैं और हम सबको एक प्याज की तरह व्यवहार करने को प्रेरित करती हैं। हम किस वक़्त क्या व्यवहार करेंगे, ये हमारा दिमाग निर्धारित करता है। ये उस अनुभव और समझ से विकसित होता है, जो हमने जन्म से लेकर अपनी पूरी आयु में सीखा है और हमारी आयु के साथ ये परतें भी विकसित होती जाती हैं।