संयुक्त परिवार और एकल परिवार में अंतर

संयुक्त परिवार और एकल परिवार में क्या अंतर हैं? संयुक्त परिवार में व्यक्ति की जीवनशैली और एकल परिवार की जीवनशैली किस प्रकार की होती है? संयुक्त परिवार में रहना लाभदायक है या एकल परिवार में? आज के समय में अधिकांश परिवार ऐसे हैं जो एकल परिवार है, संयुक्त परिवार आज के समय में मात्र ही देखने को मिलते हैं। आज की पीढ़ी संयुक्त परिवार में रहना पसंद नहीं करती क्योंकि वह अपने हिसाब से जीवन जीना चाहती है। परन्तु क्या संयुक्त परिवार में रहने के कोई फायदे नहीं है?

संयुक्त परिवार और एकल परिवार में अंतर की बात करे तो संयुक्त परिवार में व्यक्ति रिश्ते निभाना सिखता है, संस्कार सिखता है परन्तु एकल परिवार अपनी ही दुनिया में व्यस्त रहता है, आज अधिकांश व्यक्ति ऐसे हैं जो अपने परिवार से अलग रहते हैं या उनसे रिश्ते नहीं निभाते हैं क्यों? क्योंकि अधिकांश लोगों की सोच आज यहीं है कि वह आजादी से रहे किसी तरह की पाबंदी और जिम्मेदारी उठाना वह नहीं चाहते। कई व्यक्ति ऐसे भी जिनका परिवार छोटा होता है वह अक्सर बड़े परिवार की चाह रखते हैं क्योंकि संयुक्त परिवार की रोनक अलग होती है। पुराने समय में अधिकांश परिवार संयुक्त ही होते थे परिवार में हर व्यक्ति चाहे वह महिला हो या पुरुष वह मिलकर काम करते थे, मिलकर जिम्मेदारीयां उठाते थे, और सभी एकजुट होकर रहते थे पहले लोग रिश्तो का महत्व समझते थे। आज के समय में भी अधिकांश ऐसे परिवार है जहां सभी लोग एक-साथ मिलकर रहते हैं सभी अपनी जिम्मेदारीयां समझते हैं। एकल परिवार में व्यक्ति रिश्तों की अहमियत नहीं समझ पाता है व्यक्ति अपने बच्चों को वह संस्कार नहीं दे पाता है जो संयुक्त परिवार में मिलते हैं, संयुक्त परिवार में बच्चें सभी से कुछ ना कुछ सीखते हैं, दादा-दादी की सिख लेते हैं। संयुक्त परिवार में सभी त्योहार मिलजुल बनाते हैं और बड़े परिवार में हर त्योहार की रोनक अलग होती है। संयुक्त परिवार में सभी सुख और दुःख की घड़ी में साथ निभाते हैं अपने परिवार पर आयी हर मुसीबत का मिलकर सामना करते हैं।

संयुक्त परिवार में एकता

संयुक्त परिवार में हर व्यक्ति एकता बनाकर रहता है, और एक संयुक्त परिवार और संस्कारी परिवार बुजुर्गों के मार्गदर्शन से ही बनता है। और बड़े परिवार में हर व्यक्ति बुजुर्गों से अनेक प्रकार के अनुभव प्राप्त करता है। संयुक्त परिवार की डोर तब मजबूत होती है जब परिवार का बड़ा सदस्य मजबूत होता है अर्थात परिवार एक जिम्मेदार व्यक्ति से ही चलता है और संयुक्त परिवार में जिम्मेदारियों का बोझ बड़े भाई पर ही होता है अतः उस व्यक्ति को हर प्रकार से पता होना चाहिए कि परिवार किस प्रकार चलता है और अक्सर ऐसा होता है कि उस व्यक्ति को परिवार माला को टूटने से बचाने के लिए अनेक प्रकार के कष्टों से गुजरना पड़ता है। संयुक्त परिवार में मतभेद जरूर होते हैं परंतु परिवार में किसी भी व्यक्ति पर मुसीबत आने पर हर व्यक्ति उसके साथ खड़ा होता है। कहने का तात्पर्य यह है कि जितना जरूरी संयुक्त परिवार का होना है उसी प्रकार परिवार के हर व्यक्ति को यह जानना जरूरी है कि परिवार चलता कैसे हैं परिवार में हर व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारियों का अहसास होना चाहिए ताकि किसी एक व्यक्ति पर जिम्मेदारियों का बोझ न हो। संयुक्त परिवार के बच्चों की बात करें तो बच्चे अनेक प्रकार की चीजें परिवार में सीखते हैं वहां बच्चे मिल बांटकर साथ मे खाना सीखते हैं साथ मे पढ़ते हैं साथ मे खेल खेलते हैं इस प्रकार बच्चे एकता सीखते हैं।

संयुक्त परिवार में संस्कार

संयुक्त परिवार में संस्कारों की अलग ही छवि होती है, बड़े परिवार में बच्चे जल्दी ही संस्कार सीखते हैं सबसे महत्वपूर्ण यह है कि संयुक्त परिवार में छोटी सी चीज का माहौल भी उत्साह के रूप में होता है। जब किसी व्यक्ति का संयुक्त परिवार होता है और उस परिवार की डोर मजबूत हो तो बाहर की कोई भी ताकत उस डोर को कमजोर नहीं कर सकती। संयुक्त परिवार में बच्चों को संस्कार अच्छे से मिलते हैं क्योंकि वह संस्कार बुजुर्गों के दिये होते हैं यदि परिवार में बड़े मिलजुल रहे और प्रेम से रहते हैं तो इसका प्रभाव बच्चों पर जरूर पड़ता है। संयुक्त परिवार को होना ही महत्वपूर्ण नहीं है उस परिवार में प्रेम होना सबसे ज्यादा जरूरी है। आज के समय में अधिकांश परिवार बंटवारा चाहते हैं किन्तु व्यक्ति यह नहीं समझ पाता असली सुख परिवार से ही होता है जब तक व्यक्ति परिवार से बंधा होता है वह मजबूत रहता है क्योंकि उसे पता होता है हर सुख दुख में परिवार का व्यक्ति सर्वप्रथम साथ देता है।

एकल परिवार में संस्कार – एकल परिवार में बच्चों को संस्कार अवश्य मिलते हैं पर संयुक्त परिवार की तरह नहीं उन्हें प्यार तो जरूर मिलता है पर संयुक्त परिवार की तरह नहीं क्योंकि एकल परिवार में बच्चों को सिर्फ माता-पिता से शिक्षा मिलती है एकल परिवार में उसे चाचा – चाची, दादा-दादी का प्यार और संस्कार प्राप्त नहीं होते। आज के समय में अधिकांश लोग अपने माता-पिता के साथ भी नहीं रहते उस स्थिति में बच्चे परिवार का महत्व नहीं समझ पाते, वह चीजों को मिल बांटकर खाना नहीं जानते, वह भाई-बहनों से परिवार का महत्व नहीं जानते। एकल परिवार में व्यक्ति को सभी प्रकार का सुख प्राप्त होता है परन्तु सभी मोह-माया के सुखों से ऊपर परिवार होता है उसके महत्व को नहीं जानते। पर व्यक्ति को यह सुख समझना जरूरी है सांसारिक सुख आता और जाता रहता है और सिर्फ परिवार ही होता है जो हर परिस्थिति में साथ होता है।

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