कोर्ट मैरिज और मैरिज रजिस्ट्रेशन की पूरी प्रक्रिया हिंदी में

कोर्ट मैरिज/ रजिस्टर्ड मैरिज कैसे करे, कहा करे,क्या प्रक्रिया है, कोन  कोन  से अधिकार के तहत पुलिस सुरक्षा प्रादन की जाएगी?

यदि आप किसी से प्रेम करते है,और उसी के साथ आप विवाह करना चाहते है परंतु यदि आपके घरवाले आपके विवाह के खिलाफ है तब आप कोर्ट मैरिज या रजिस्टर्ड मैरिज (Court Marriage and Registered Marriage) करना चाहते है, परंतु आपको यह नहीं पता की कोर्ट मैरिज व रजिस्टर्ड मैरिज कैसे होगी, कहा होगी  व कोर्ट मैरिज व रजिस्टर्ड मैरिज के लिए आपको किन-किन दस्तावेजों की आवश्यकता है, व कोर्ट मैरिज व रजिस्टर्ड मैरिज के बाद आपको कौन-कौन से सुरक्षा के अधिकार मिलेंगे यह सब बाते आज आप इस लेख के माध्यम से जान सकते है।

भारत मे जितनी कोर्ट मैरिज व रजिस्टर्ड मैरिज होती है वह सभी समान होती है उन सभी को विशेष विवाह अधिनियम 1954 (Special Marriage Act 1954) के अंतर्गत ही माना जाता है। संविधान व कोर्ट भी आपको संरक्षण प्रदान करता है।

क्या कोर्ट मैरिज (Court marriage) व रजिस्टर्ड मैरिज (Marriage registration) एक ही होते है या अलग अलग?

अक्सर देखा गया है की Couple ये ही समझते है की कोर्ट मैरिज (court marriage) व रजिस्टर्ड मैरिज (registered marriage) दोनों एक ही होते है परंतु ये दोनों एक नहीं होते शादी दो तरीके से होती है, यदि शादी को बिना रीति-रिवाज के साथ विवाह अधिकारी के समक्ष की जाए जिसमे 30 दिन का समय दिया जाता है और30 दिन बाद  विवाह अधिकारी द्वारा प्रमाण पत्र (Certificate) निर्गत (Issue) किया जाता है उसे कोर्ट मैरिज (Court marriage) कहते है, यदि विवाह को यदि सभी धर्मों व रीति रिवाज से करने के बाद मे रजिस्ट्रार कार्यालय मे आवेदन कर के जो प्रमाण पत्र (Certificate) प्राप्त किया जाता है उसे रजिस्टर्ड विवाह (Registered Marriage) कहा जाता है।

कोर्ट मैरिज (Court marriage) कैसे करे?

यदि आप कोर्ट मैरिज करना चाहते है तो सबसे पहले आपको विशेष-विवाह अधिनियम के तहत विवाह अधिकारी/परगनाधिकारी/उपजिलाधिकारी के समक्ष एक प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करना होगा, जिसमे सभी आवश्यक दस्तावेज़ व शपथपत्र हस्ताक्षरित कर के प्रस्तुत करना होगा उसके बाद वह प्रार्थना पत्र स्वीकार करने के बाद वर व वधू के स्थाई पते से संबंधित पुलिस थाने से आख्या तहसील के नोटिस बोर्ड पर व एक प्रति न्यायालय के नोटिस बोर्ड पर चस्पा कर दी जाती हैं व प्रार्थना पत्र की पत्रावलि के लिए अग्रिम कार्यवाही के लिए तिथि नियत कर दी जाती हैं तब ही अधिकारी द्वारा प्रमाण पत्र जारी किया जाता है।

कोर्ट मैरिज करने के लिए आवश्यक शर्ते:

  1. दोनों पक्षों का अविवाहित होना- कोर्ट मैरिज करने लिए यह आवश्यक कि वर और वधू विवाह के समय अविवाहित हो, दोनों ने पूर्व मे कोई विवाह न किया हो यदि किया हो तो दोनों मे से किसी की पत्नी या पति विवाह के समय जीवित नहीं होना चाहिए, यदि उनका मृत्यु हो चुकी हो तो मृत्यु प्रमाण पत्र (Death certificate) संलगन करना अनिवार्य होगा।
  2. दोनों पक्षों का व्यस्क होना- विवाह के समय दोनों पक्षों का वयस्क होना अनिवार्य है वर की आयु 21 वर्ष व वधू की आयु 18 वर्ष पूरी होनी चाहिए, यदि विवाह के समय आयु पूर्ण नहीं होती है तो विवाह मान्य नहीं होगा।
  3. दोनों पक्षों का स्वस्थचित होना- विवाह के समय दोनों पक्षों का स्वस्थचित (Sound-mind) होना अनिवार्य है, वर व वधू मे से कोई भी पागल न हो दोनों पूर्ण रूप से ठीक हो।
  4. दोनों पक्षों की आपसी सहमति हो- विवाह के लिए दोनों पक्ष आपस मे सहमत हो, यह सहमति बिना किसी दवाब के स्वतंत्र होनी चाहिए।
  5. दोनों पक्ष संतनोनपत्ति के लिए सक्षम होने चाहिए- विवाह के लिए दोनों पक्ष संतनोनपत्ति के लिए सक्षम होने चाहिए वर या वधू द्वारा यदि इस विषय मे किसी भी तरह का कोई भी झूठ बोला जाता है तो विवाह मान्य नहीं रहेगा।
  6. तीन स्वस्थचित व वयस्क गवाह- कोर्ट मैरिज के लिए 3 गवाह अनिवार्य है, और वो 18-वर्ष से अधिक आयु के या 18 वर्ष की आयु के होने चाहिए व पूर्ण रूप से स्वस्थ होने चाहिए।

कोर्ट मैरिज के लिए आवश्यक दस्तावेज:

  • वर व वधू दोनों का आधार कार्ड/पहचान पत्र/ड्राइविंग लाइसेंस/पासपोर्टआदि
  • वर व वधू दोनों की दसवी कक्षा की अंकतालिका (High school Marksheet)
  • वर व वधू  दोनों का जन्म प्रमाण पत्र (Birth-certificate)
  • वर व वधू दोनों के पासपोर्ट साइज़ फोटो
  • वर व वधू दोनों का हस्ताक्षरित शपथपत्र
  • वर व वधू  दोनों का स्थाई निवास प्रमाण पत्र
  • तीनों गवाहों के आधार कार्ड/पैन कार्ड/ड्राइविंग लाइसेंस/पहचान पत्र आदि

कोर्ट मैरिज के प्रार्थना पत्र व शपथपत्र का नमूना (Format of Court Marriage and Affidavit in Hindi)

Format Of Court Marriage And Affidavit In Hindi

रजिस्टर्ड मैरिज कैसे की जाती है:

अलग-अलग राज्य मे रजिस्टर्ड मैरिज (registered marriage) करने के लिए अलग-अलग वेबसाईट है जिस पर ऑनलाइन अप्लाइ (Public Data Entry) कर के अपने यहां के रजिस्ट्रार ऑफिस मे आवेदन कर के रजिस्ट्रार के समक्ष रजिस्टर्ड मैरिज कर सकते है, सभी राज्यों मे लगभग समान प्रक्रिया है रजिस्टर्ड मैरिज करने के लिए जरूरी नहीं है की किसी अधिवक्ता के माध्यम से ही की जाए आप पूरी प्रक्रिया जान कर रजिस्टर्ड मैरिज के लिए खुद आवेदन कर सकते है रजिस्टर्ड मैरिज की प्रक्रिया कोर्ट मैरिज (court marriage) से अलग है रजिस्टर्ड मैरिज (registered marriage) मे पहले विवाह को रीति रिवाजों से या मंदिर मे पुजारी जी द्वारा या मोलवी जी द्वारा कराया जाता है, उसके बाद दोनों पक्ष रजिस्टर्ड मैरिज के लिए ऑनलाइन आवेदन पंजीकरण के लिए रजिस्ट्रार ऑफिस मे अप्लाइ करते है रजिस्टर्ड मैरिज एक दिन मे ही हो जाती है यह कोर्ट मैरिज के मुकावले जल्दी हो जाती है।

रजिस्टर्ड मैरिज के लिए कहां-कहां आवेदन कर सकते है:

रजिस्टर्ड मैरिज के लिए तीन जगह के रजिस्ट्रार ऑफिस मे आवेदन किया जा सकता है, ये स्थान इस प्रकार हैं:

  1. जहा लड़की का निवास स्थान हो वहा के रजिस्ट्रार ऑफिस मे।
  2. जहा लड़के का निवास स्थान हो वहा के रजिस्ट्रार ऑफिस मे।
  3. जहा लड़के लड़की ने शादी की हो वह पर।

रजिस्टर्ड मैरिज (registered marriage) के लिए वही सब शर्ते अनिवार्य है जो कोर्ट मैरिज मे बताई गई थी परंतु रजिस्टर्ड मैरिज के लिए सिर्फ 2 गवाहों की आवश्यकता होती है तीन की नहीं।

रजिस्टर्ड मैरिज (registered marriage) के लिए सभी अनिवार्य दस्तावेज़:

  • वर व वधू  दोनों का आधार कार्ड/पहचान पत्र/ड्राइविंग लाइसेंस
  • वर व वधू  दोनों की दसवी कक्षा की अंकतालिका (High school marksheet)
  • वर व वधू  दोनों का जन्म प्रमाण पत्र (birth certificate)
  • वर व वधू  दोनों के पासपोर्ट साइज़ फोटो
  • वर व वधू दोनों का हस्ताक्षरित शपथपत्र
  • वर व वधू  दोनों का स्थाई निवास प्रमाण पत्र
  • दो गवाहों के आधार कार्ड/पैन कार्ड/ड्राइविंग लाइसेंस/पहचान पत्र
  • पंडित जी द्वारा हस्ताक्षरित प्रमाण पत्र/ निकहनामे की रशीद
  •  शादी का कार्ड वर पक्ष या वधू पक्ष का

यह उपरोक्त सभी दस्तावेजो की प्रतिलिपि पर नोटरी अधिवक्ता द्वारा सत्यापित कराया जाना भी अनिवार्य है व मूल दस्तावेज़ों को रजिस्ट्रार अधिकारी का समक्ष दिखाना अनिवार्य है।

यदि कोर्ट मैरिज या रजिस्टर्ड मैरिज के बाद वर व वधू को  घरवालो द्वारा झूठी  एफआईआर कर देने का भय हो तो पुलिस सुरक्षा के लिए क्या करना चाहिए?

यदि वर पक्ष के घरवाले या वधू पक्ष के घरवाले आपकी शादी के खिलाफ है और आपको इस बात का भय है की आपके खिलाफ कोई भी झूठी एफआईआर (FIR) दे सकते है तो दोनों पक्षों को चाहिए की वो पुलिस थाने जाकर एक प्रार्थना पत्र व जिसमे शपथपत्र संलगन हो जिसमे दोनों का विवाह आपसी सहमति से करने का उल्लेख हो पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी को देना चाहिए व साथ मे विवाह का प्रमाणपत्र भी संलगन कर के देना चाहिए,यदि आपको भय है की आपके विवाहकर लेने से आपकी जान को खतरा है आप उसके लिए भी एक Application थाने मे दे सकते है। यदि आप पुलिस स्टेशन से कही दूर है तब आप डाक द्वारा सवहस्ताक्षरित कर विवाह प्रमाण पत्र व प्रार्थना पत्र भेज सकते हो व पुलिस से सुरक्षा की भी मांग कर सकते है।

उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित निर्णय के अनुसार प्रेम विवाह/कोर्ट मैरिज/ रजिस्टर्ड मैरिज करना संविधान के अंतर्गत मोलिक अधिकार है?

27 मार्च 2018 को एक प्रसिद्ध मामले मे उच्चतम न्यायालय (Supreme court) के तीन न्यायधीशो जस्टिस दीपक मिश्रा,जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़,जस्टिस एएम खान बिलकर की खंडपीठ ने कहा यदि दो वयस्क आपसी सहमति से विवाह कर सकते है,घरवालों की सहमति आवश्यक नहीं है।एक अन्य याचिका मे उच्चतम न्यायालय (Supreme court)ने यह निर्णय दिया की कोई भी तीसरा व्यक्ति दो वयस्क की शादी मे दखल नहीं कर सकता,2010 मे एक महिला(शक्तिवाहनी )द्वारा याचिका दायर कर यह मांग की गई की राज्य सरकार और केंद्र सरकार ऑनर किलिंग को रोकने का काम करे अंतर धार्मिक विवाह के जो विरोधी है उनके कारण कितने लोगों की हत्या हुई है तब माननीय उच्चतम न्यायालय ने यह निर्णय दिया है की अंतरजातीय या अंतर धार्मिक शादिया करने वाले जोड़ों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए कमेटी बनाई जाएगी।

5 जनवरी 2019 को राजस्थान उच्च न्यायालय ने भी एक याचिका पर बिचार करते हुए यह निर्णय दिए की प्रेम विवाह करने वाले जोड़ों को सुरक्षा प्रदान की जाए वही 9 मार्च 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने भी एक याचिका के जरिए यह कहा की यदि कोई प्रेम विवाह/ कोर्ट मैरिज/ रजिस्टर्ड मैरिज करता है और बालिग़ है तो पुलिस का कर्तव्य है की उस जोड़े को सुरक्षा प्रदान करे।

क्या जीवनसाथी चुनने का अधिकार एक मोलिक अधिकार है?

जीवनसाथी चुनने का अधिकार भी एक मोलिक अधिकार है अर्थात यह अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत जीवन जीने के अधिकार मे ही सम्मिलित है अत: इसके उल्लंघन पर आप संविधान के अनुच्छेद 226 के अंतर्गत उच्च न्यायालय व संविधान के अनुच्छेद 32 के अंतगर्त उच्चतम न्यायालय मे याचिका दायर कर सकते है।

मानव अधिकारो की सार्वभोम घोषणा 1948 (The Universal Declaration of Human Rights 1948) के अनुच्छेद 16 के अंतर्गत अधिकार

मानव अधिकारों की सार्वभोम घोषणा के  अनुच्छेद 16 के अंतर्गत किसी भी जाति,या किसी धर्म के कारण के बिना किसी भी सीमा के पूर्ण आयु प्राप्त करने वाले लड़के व लड़की को विवाह करने का व अपन  परिवार वसाने का पूर्ण अधिकार है और लड़के व लड़की को सामाज व राज्य द्वारा भी संरक्षण प्रदान किया जाएगा।

घरेलू हिंसा अधिनियम 2005  के अंतर्गत शिकायत दर्ज कर कर कानूनी सुरक्षा ले सकते है:

यदि आपके अभिभावक आपके विवाह के खिलाफ है और आपको मानसिक या शरारिक रूप से प्रताडित कर रहे है तब आप घरेलू हिंसा अधिनियम के अंतर्गत मामला दायर कर सकते है व कोर्ट से अपनी सुरक्षा के लिए कानूनी मांग कर सकते है।

एडवोकेट पारुल पेशे से एक वकील, कानूनी सलाहकार, सामाजिक लेखक, और लेखसागर टीम में कानूनी सलाहकार सदस्य।

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