जब कुछ भी समान नहीं तो क्यों समानता की बात करते हो,
यहां अमीरों के काम फोन पर होते है, तो फिर क्यों गरीबों को बदनाम करते हो।
बैंक चले जाओ अपने खुद के पैसे मांगने, या कोर्ट चले जाओ न्याय मांगने,
तो एक काउंटर से दूसरे काउंटर पर क्यों भगाए फिरते हो।
दूसरे के समय कि कीमत और दर्द को क्यों अनदेखा किया करते हो।
जब गरीबों को साथ पसंद नहीं तो क्यों एकता की बात करते हो।
जब दुनिया से साथ कुछ नहीं लेकर जाना तो क्यों दूसरों कि मदद नहीं करते हों।
यदि खुद के लिए ही जीना ही तो दूसरों के सामने क्यों संस्कारी बनते हो।
इस दुनिया के मोह से निकलकर देखो, अपनी अंतरात्मा से क्यों नहीं मिलते हो।
यदि आपको ज्ञान है तो उस ज्ञान से दूसरों का भला क्यों नहीं करते हो।
आपकी इच्छाएं अनंत है तो फिर सीमित्ता की बाते क्यों करते हो।
यदि आपको भय नहीं लगता तो सच्चाई के लिए क्यों नहीं लड़ते हो।
अपने बच्चो से सहारे कि उम्मीद रखते हो तो क्यों अपने माता पिता की परवाह नहीं करते हो।
भगवान, अल्लाह, वाहेगुरु जब सब एक ही है तो क्यों धर्म के नाम पर दुनिया को अलग किया करते हो।
“मैं उन लड़कियों में से हू जिनको ज़रा भी संकोच नहींअपनी आवाज़ उठाने में ,
फिर क्यों मेरी आवाज़ दवाने की कोशिश किया करते हो।“
नारी सम्मान, समानता और हकीकत | Hindi Poem
94